एक कहानी
उन रास्तों में अब मैं नहीं मिलता, जहां अक्सर मुझसे सब मिला करते थे, अब वहाँ बस मेरा साया ही दिखता है, अँधेरे में एक ख़ामोशी को ओढकर , सर्द मौसम को महसूस करता हुआ, कभी गर्दन उठाकर आसमान को ताकता, कभी चाँद से सवाल करता, तो कभी तारों से जवाब मांगता, वो साया अब मेरे साथ नहीं है, शायद मिल जाए कभी उन गलियों में, खोया हुआ अपने आप में कहीं, रहता कैद पहरे में यादों के, करता बातें सारी पुरानी, जैसे सुना रहा हो कोई कहानी.... AnSh :)