मैं लिखता हूँ, जब मैं तेरे साथ होता हूँ, जब मैं दूरियां भी सहता हूँ, जब मैं तेरी नीली आँखें देखता हूँ, जब मैं इनमें गुम रहता हूँ, जब मैं तेरा इंतज़ार करता हूँ, जब मैं सिर्फ तुझे प्यार करता हूँ... मैं लिखता हूँ, जब मैं कुछ कहता हूँ, जब मैं चुप रहता हूँ, जब मैं कुछ सोचता हूँ, जब मैं बस खाली दीवारें देखता हूँ, जब मैं खुश रहता हूँ, जब चुपचाप गम सहता हूँ... मैं लिखता हूँ, जब मैं सबके साथ होता हूँ, जब मैं बस तन्हा रहता हूँ, जब किसी ख्वाब की दस्तक होती है, जब नींद भी मुझसे रूठ जाती है, जब मैं रातों को जागता हूँ, जब मैं खुद से भागता हूँ... मैं लिखता हूँ, जब मैं सांसें लेता हूँ, जब मैं यादों में बहता हूँ, जब मैं ज़माने की परवाह करता हूँ, जब मैं खुद से बेपरवाह रहता हूँ, लिखता रहूँगा जब तक हैं ये धड़कनें मेरी, गर रुक गयी बिन बताये कभी,, तो भी लिखता रहूँगा....बस यूँ ही...... AnSh :)